आज के दौर में हर गृहस्थ पुरूष या अविवाहित, ऐसी स्त्रियों की चाहत या कामना रखता है, जिनके बोल, विचार और व्यवहार से गृहस्थ जीवन स्वर्ग बन जाए। वैसे पति-पत्नी के बीच मधुर संबंधों के लिए दोनों का एक-दूसरे पर पूरा भरोसा और समर्पण ही अहम होता है। चूंकि स्त्री गृहस्थ जीवन की धुरी मानी जाती है। इसलिए यहां हम खासतौर पर समझते हैं कि गृहस्थ जीवन में स्त्री का पति के लिए कैसा भाव, विचार और व्यवहार जरूरी है?
हिन्दू धर्म शास्त्र अनेक ऐसी स्त्रियों के प्रसंगों से भरा है, जिन्होंने अपने पातिव्रत्य के धर्म पालन से पति, परिवार या कुटुंब की संकटों से रक्षा की। जिससे उन्होंने न केवल स्त्री जाति का मान बढ़ाया, बल्कि हर स्त्री को उसकी ताकत से पहचान कराई। यही कारण है कि वे युग के बदलाव होने पर भी आज भी सुखद गृहस्थ जीवन के लिए स्त्रियों की प्रेरणा और आदर्श हैं। जिनमें सती अनुसूया, सीता सहित अनेक नारियां प्रमुख हैं।
आज के दौर में हर गृहस्थ पुरूष या अविवाहित, ऐसी स्त्रियों की चाहत या कामना रखता है, जिनके बोल, विचार और व्यवहार से गृहस्थ जीवन स्वर्ग बन जाए। वैसे पति-पत्नी के बीच मधुर संबंधों के लिए दोनों का एक-दूसरे पर पूरा भरोसा और समर्पण ही अहम होता है। चूंकि स्त्री गृहस्थ जीवन की धुरी मानी जाती है। इसलिए यहां हम खासतौर पर समझते हैं कि गृहस्थ जीवन में स्त्री का पति के लिए कैसा भाव, विचार और व्यवहार जरूरी है?
हिन्दू धर्म शास्त्र अनेक ऐसी स्त्रियों के प्रसंगों से भरा है, जिन्होंने अपने पातिव्रत्य के धर्म पालन से पति, परिवार या कुटुंब की संकटों से रक्षा की। जिससे उन्होंने न केवल स्त्री जाति का मान बढ़ाया, बल्कि हर स्त्री को उसकी ताकत से पहचान कराई। यही कारण है कि वे युग के बदलाव होने पर भी आज भी सुखद गृहस्थ जीवन के लिए स्त्रियों की प्रेरणा और आदर्श हैं। जिनमें सती अनुसूया, सीता सहित अनेक नारियां प्रमुख हैं।
इसलिए सती या पातिव्रत्य का पालन करने वाली इन स्त्रियों को सामने रखकर जानें हिन्दू धर्म शास्त्र में बताए गए उन गुणों को जिनसे हर स्त्री की पहचान पतिव्रता के रूप में होती है -
- पति को हमेशा भगवान मानने वाली यानि पति के प्रति हर तरह से समर्पित स्त्री।
- दु:खों से न घबराकर हंसमुख और प्रसन्न रहने वाली।
- हर स्थिति में सुख को खोजने वाली।
- पति में मन रखने वाली।
- पति को सेवा से वश में करने वाली।
- पति के कटु बोल और व्यवहार को भी सहन कर खुश रहने वाली।
- पति के धनहीन, रोगी, दीन या थके होने पर भी सेवा को आतुर रहे।
- संयम रखने, चतुरता यानि व्यावहारिक समझ रखने वाली।
- पति से संतान उत्पति करने वाली।
- पति को बड़े से बड़े सुख से भी ज्यादा चाहने वाली।
- सधी हुई दिनचर्या, जीवनशैली वाली स्त्री जैसे - सुबह जल्दी उठना, स्वयं और घर को साफ रखना या घर को व्यवस्थित रखना, देव पूजा करना।
- सास-ससुर का हर तरह से ख्याल रखने वाली।
- अतिथि, मेहमान यहां तक कि घर के नौकर से भी विनम्रता और स्नेह से व्यवहार करने वाली।
- पीहर में माता-पिता को भी सुख देने वाली।
सार यही है कि पति और गृहस्थी के लिए जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को समझे बिना किसी द्वेष भाव से, मन को वश में रख, शौक-मौज की लालसा से दूर, गृहस्थी को धर्म मानकर चलाने वाली स्त्री सही मायनों में सती और पतिव्रता है।
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