व्यावहारिक जीवन के लिए धन सुखी रहने का एक साधन है। धार्मिक हो या सांसारिक नजरिया धन को जीवन की अहम जरूरत बताया गया है। वैसे सुख देव और दु:ख दानव शक्ति का प्रतीक भी है। इसलिए सुख देने वाला हर व्यक्ति, स्थान और साधन देवता के समान पूजित भी हो जाता है।
इसी बात को सामने रख सोचें तो भारतीय धर्म परंपराओं में स्त्री को भी लक्ष्मी रुप मानने के पीछे सुख देने वाली उसकी वह शक्ति है, जो वह मां, बेटी और अन्य सभी रिश्तों के द्वारा सृजन, पालन, सेवा के रूप में परिवार, समाज या जगत को देती है। जिनसे कुटुंब खुशहाल और सुखी होता है। धार्मिक मान्यता भी यही है कि देवता खासतौर पर धन और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी उसी स्थान पर वास करती है। जहां दरिद्रता और आलस्य न हो। यही कारण है कि जो स्त्री घर की व्यवस्थाओं और माहौल को अपने व्यवहार, आचरण और विचारों से पवित्र रखती है, उसे लक्ष्मी और उस घर में लक्ष्मी का वास माना जाता है।
शास्त्रों में भी बताया गया है कि लक्ष्मी ऐसी स्त्रियों पर हमेशा प्रसन्न रहती है। किंतु इसके लिए उसका व्यवहार और आचरण कैसा होना चाहिए? जानते हैं -
- सच बोलने वाली स्त्री। जिस स्त्री के बोल, व्यवहार और विचारों में सच समाया होता है, उससे लक्ष्मी बहुत खुश रहती है।
- पतिव्रता स्त्री यानि पति के लिए हर तरह से समर्पित और सेवा का भाव रखने वाली।
- जिस स्त्री का तन, मन और व्यवहार साफ हो।
- धार्मिक यानि देवता, शिक्षित और ब्राह्मणों को सम्मान देने वाली स्त्री।
- घर आए अतिथि की सेवा-सत्कार करने वाली स्त्री।
- सहनशील स्त्री यानि जो स्त्री पति या परिवार के सदस्यों की बड़ी से बड़ी गलती या दोष को भी माफ कर दे। दूसरे अर्थों में क्षमा का भाव रखने वाली स्त्री।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें